गीता के116सूत्र
अगले कुछ सूत्र
सूत्र –6.10
वह जो एकांत बासी हो , जिसका मन – बुद्धि प्रभु में हों और कामना रहित हो , योगी होता है //
सूत्र –8.8
जिसके मन में ब्रह्म हों , वह ब्रह्ममय होता है //
सूत्र –6.4
कामना - संकल्प रहित कर्म करता हुआ संन्यासी योगारूढ़ स्थिति में होता है //
सूत्र –18.17
अहंकार रहित कर्म बंधन नहीं होते //
सूत्र –18.24
अहंकार की ऊर्जा जिस कर्म हो वह कर्म राजस कर्म होता है //
गीता के पांच सूत्रों को आप अपनाइए और अपनें जीवन में प्रयोग कीजिए
गीता मात्र पढ़ना उत्तम है
लेकिन
गीता की राह पर चलना प्रभु-पथ है//
====ओम======
Comments