भाव से भावातीत

भाव की भाष
भाषा बुद्धि की उपज है और भाव ह्रदय से उठते हैं
भाषा से भाव ब्यक्त नही किए जा सकते
भावों को ब्यक्त करते हैं -- आंखों से झरते आंशुओं की बूंदें
जो लोग भाव को भाषा से ब्यक्त करनें की कोशिश की वे सभी असफल रहे
बुद्धि आधारित बिषय की परिभाषा होती है
लेकिन भाव आधारित बिषय की परिभाषा सम्भव नही

बुद्धि आधारित लोग शास्त्रों की रचना करते हैं ,
भावों वाले भावों में बहते ही रहते हैं
बुद्धि आधारित ब्यक्ति किनारे की खोज करता है
और भाव में जो डूबा है वह जानता ही नहीं कि किनारा क्या होता है ?
भाव के तीन केन्द्र हैं ; ह्रदय , नाभि और स्वाधिस्थान चक्र [काम चक्र ]
ह्रदय से उठनेंवाले भाव के पीछे कोई कारण नही होता
अन्य दो के पीछे कोई कारन होता है
बाहर से दोनों भावों को पहचानना सम्भव नहीं
आप में जब भाव उठें तब उनको आप पहचाननें की कोशिश करे, आप को आनंद मिलेगा
====ॐ======

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