लोभ सम्बंधित कुछ गीता के सूत्र
गीता के तीन सूत्रों को यहाँ दिया जा रहा है
जो आप को माया से परे पहुँचानें में एक ऊर्जा का संचार
आप के अन्दर कर सकते हैं , बशर्ते आप इनको अपनाएं ॥
गीता सूत्र - 14.12
लोभः प्रवृत्ति आरम्भः कर्मणां अशमः स्पृहा ।
रजसी एतानि जायन्ते विवृद्धे भारत - रिषभ ॥
गीता सूत्र - 16.21
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनं आत्मनः ।
काम: क्रोधः तथा लोभः तस्मात् एतत त्रयं त्यजेत ॥
गीता सूत्र - 5.23
शक्नोति इह एव य: सोढुं प्राक शरीर विमोक्षणात ।
काम - क्रोध उद्भवम वेगम स युक्तः स सुखी नरः ॥
गीता के तीन सूत्र कह रहे हैं ----
क्रोध राजस गुण का एक तत्त्व है ।
काम क्रोध , लोभ नरक के द्वार हैं ।
काम - क्रोध से अछूता , सुखी इन्शान होता है ।
==== ॐ ======
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