इतनी गहरी कामना और ------
इतनी गहरी कामना और -----
जा रहे हैं , कहीं और नहीं ------
मंदिर को ॥
ससार में इतनी गहरी कामनाओं की पूर्ति की जब सारी आशाएं टूट जाती हैं तब ........
कुछ फल .....
कुछ फूल .....
कुछ पूजा की सामाग्री के साथ .....
एक लोटा जल के साथ , हम चलते हैं - मंदिर को कुछ इस प्रकार की शायद ही हम स्वयं को पहचाननें
में सक्षम हों ।
आँखें झुकी हुयी .....
मन में एक की प्राप्त के लिए अनेक विकल्पों का चक्रवात घूमता हुआ लेकीन बाहर से एक परम शांति
में चलता हुआ एक पुतला ऐसा दिखता है , जैसे तुसामी चक्रवात में आया समुद्र के मध्य में
एक पूर्ण शांत शिवलिंगम स्थित हो ।
गीता कहता है :---
कामना ....
मोह ......
अहंकार , प्रभु के मार्ग के सबसे बड़े अवरोध हैं और हम ......
मंदिर का निर्माण करते ही है केवल ----
कामना ....
मोह और ...
अहंकार की पूर्ति के लिए , अब आप सोचना -------
कामना पूर्ति के लिए , मोहन प्यारे से हम कैसी मिल सकते हैं ?
जबतक हमें भय का स्पर्श नहीं होता , हम मोहन प्यारे को कैसे याद कर सकते हैं ?
तबतक हम मोह से अप्रभावित हैं , हमारा मन मोहन प्यारे को कैसे याद कर सकता है ?
हम जिस दिशा की ओर गमन करते हैं , उस दिशा में कोई मंदिर नहीं होता और
भूल से यदि कोई मंदिर दिख भी जाए तो उस दिशा में उस मंदिर का द्वार हो नहीं सकता ॥
बातों की एक बात
जबतक हम गाजे बाजे के साथ मंदिर जाते रहेंगे , हमारी प्रभु की यात्रा रुकी रहेगी ॥
मंदिर जाया नहीं जाता -----
मंदिर बुलाता है और जब मंदिर की पुकार लगती है तब .......
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में वही पुकार गूजती हुयी सुनाई पड़ती है ॥
जिस दिन आप को मंदिर आवाज दे , समझना आप बड़े भाग्यशाली हैं ॥
कामना क्रोध और लोभ के दामन को त्याग कर ...
मोह भय और अहंकार की ओर पीठ करके ....
जब हम चल पड़ते हैं तब आगे जो मिलता है ....
वह होता है मंदिर ॥
==== ॐ ======
जा रहे हैं , कहीं और नहीं ------
मंदिर को ॥
ससार में इतनी गहरी कामनाओं की पूर्ति की जब सारी आशाएं टूट जाती हैं तब ........
कुछ फल .....
कुछ फूल .....
कुछ पूजा की सामाग्री के साथ .....
एक लोटा जल के साथ , हम चलते हैं - मंदिर को कुछ इस प्रकार की शायद ही हम स्वयं को पहचाननें
में सक्षम हों ।
आँखें झुकी हुयी .....
मन में एक की प्राप्त के लिए अनेक विकल्पों का चक्रवात घूमता हुआ लेकीन बाहर से एक परम शांति
में चलता हुआ एक पुतला ऐसा दिखता है , जैसे तुसामी चक्रवात में आया समुद्र के मध्य में
एक पूर्ण शांत शिवलिंगम स्थित हो ।
गीता कहता है :---
कामना ....
मोह ......
अहंकार , प्रभु के मार्ग के सबसे बड़े अवरोध हैं और हम ......
मंदिर का निर्माण करते ही है केवल ----
कामना ....
मोह और ...
अहंकार की पूर्ति के लिए , अब आप सोचना -------
कामना पूर्ति के लिए , मोहन प्यारे से हम कैसी मिल सकते हैं ?
जबतक हमें भय का स्पर्श नहीं होता , हम मोहन प्यारे को कैसे याद कर सकते हैं ?
तबतक हम मोह से अप्रभावित हैं , हमारा मन मोहन प्यारे को कैसे याद कर सकता है ?
हम जिस दिशा की ओर गमन करते हैं , उस दिशा में कोई मंदिर नहीं होता और
भूल से यदि कोई मंदिर दिख भी जाए तो उस दिशा में उस मंदिर का द्वार हो नहीं सकता ॥
बातों की एक बात
जबतक हम गाजे बाजे के साथ मंदिर जाते रहेंगे , हमारी प्रभु की यात्रा रुकी रहेगी ॥
मंदिर जाया नहीं जाता -----
मंदिर बुलाता है और जब मंदिर की पुकार लगती है तब .......
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में वही पुकार गूजती हुयी सुनाई पड़ती है ॥
जिस दिन आप को मंदिर आवाज दे , समझना आप बड़े भाग्यशाली हैं ॥
कामना क्रोध और लोभ के दामन को त्याग कर ...
मोह भय और अहंकार की ओर पीठ करके ....
जब हम चल पड़ते हैं तब आगे जो मिलता है ....
वह होता है मंदिर ॥
==== ॐ ======
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