मृत्यु से क्या भागना

In India I found a race of mortals living upon the Earth , but not adhering to it .....possessing everything but possessed by non. -----Apollonius Tyanaeus, a greek traveller to India .
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गीता - 8.6
मनुष्य जिस भाव से जीवन जीता है , अंत समय में वही भाव उसको पकड़ कर रखना चाहता है ।

कुछ और बातों को देखते हैं ------

[क] भोग ही जिनका जीवन - केंद्र है , वे मृत्यु से भागते हैं ।

[ख] मंदिरों को बनाया था सिद्ध - योगियों नें , योग साधना की अनुभूति को अपनें स्मृति में बनाए रखनें केलिए ,

लेकीन आज मंदिरों में भीड़ है उनकी, जो मृत्यु से भयभीत हैं ।

[ग] भोगी का आत्मा संघर्ष के बाद शरीर छोड़ता है और योगी स्वतः आत्मा को शरीर छोड़ते देखता है ।



गीता का श्लोक 8.6 को आपनें ऊपर अभी - अभी देखा है और आप यह भी जानते हैं की हर आखिरी श्वाश भरते हिन्दू को जो लगभग कोमा में होता है , उसको गीता सुनाया जाता है --अब आप सोचिये की उस का क्या होता

होगा ?



गीता मृत्यु से मैत्री स्थापित करवाता है और कहता है -----

मृत्यु एक परम सत्य है । इससे कब तक भागोगे , अच्छा होगा की तूं इसको समझ ले और इस से मैत्री

स्थापित करले ।



=====ॐ=======

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