गीता का समत्व योग
गीता सूत्र –2.48
योगस्थ : कुरु कर्माणि
संगम् त्यक्त्वा धनञ्जय /
सिद्धि - असिद्ध्यो समः
भूत्वा समत्वं योगः उच्यते //
आसक्ति जिस कर्म में न हो वह कर्म समत्व – कर्म योग होता है //
Action without attachement is Evenness – Yoga .
गीता का सूत्र आप देखे
गीता के सूत्र को अपनें सुना
अब इस सूत्र को अपनें बुद्धि में बसाओ और आगे जो आप करें,करनें के पहले उस कर्म के प्रतिबिम्ब को इस सूत्र के आइनें में देखें/
यह सूत्र उनके दिन की धडकन होता है जो -----
गीता-योगी हैं
जो स्थिर प्र ज्ञ योगी हैं
जो गुणातीत योगी हैं
जो कर्म संन्यासी हैं
और जो-----
स्वतः ब्रह्म स्तर के हैं//
==============ओम्==============
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