ज्ञान और ज्ञानी

गीता सूत्र –4.19


वह जिसके कर्म में काम,कामना एवं संकल्प की अनुपस्थिति होती है,ज्ञानी होता है/


गीता सूत्र –2.55


काम – कामना रहित स्थिर प्रज्ञ होता है/


गीता सूत्र –5.17


वह जो तन,मन एवं बुद्धि से प्रभु को समर्पित हो,ज्ञानी होता है/


गीता सूत्र –5.13


आसक्ति रहित योगी का आत्मा नौ द्वारों के देह में प्रसन्न रहता है/


गीता सूत्र –14.11


सात्त्विक गुण के प्रभाव में देह के सभीं नौ द्वार ज्ञान से प्रकाशित रहते हैं/


गीता के कुछ अनमोल रत्न आप को आज दिए जा रहे हैं,आप इन सूत्रों के आधार पर

बुद्धि-योग में प्रवेश कर सकते हैं//


सूत्र –14.11को आप बार – बार देखें और फिर सूत्र –5.13पर सोचें/


एक बात को आप अपनी स्मृति में रखें कि----------

सात्विक गुण की पकड़ भी प्रभु राह में एक मजबूत रुकावट है//

गीता की साधना में कोई पड़ाव नहीं,यात्रा कहते ही उसे हैं जो अंत हीं हो/गीता में रमें

और इतना रमें कि गीता के हर पृष्ठ पर परम प्रकाश दिखनें लगे और आप …..

श्री कृष्ण से श्री कृष्ण में स्वयं को देखते हुए------------

संसार में …...

अपनों में ….

एक द्रष्टा रूप में देखें

=====ओम=======



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