गीता के एक सौ सोलह सूत्र अगला चरन
गीता के एक सौ सोलह सूत्रों का अगला चरन
गीता सूत्र – 3.5
गुण कर्म करता हैं अतः कोई भी जीवधारी कर्म रहित नहीं हो सकता //
गीता सूत्र – 3.33
गुण प्रकृति का निर्माण करते हैं , प्रकृति मनुष्य से कर्म कराती है //
गीता सूत्र – 3.29
गुण आश्रित भोगी जैसे कर्म करते हैं वैसे गुणातीत स्थिति में ज्ञानी को कर्म करना चाहिए //
गीता सूत्र – 3.25
ज्ञानी का कर्म अनासक्ति की ऊर्जा से होता है और अज्ञानी उसी कर्म को आसक्ति की ऊर्जा से करता है
गीता सूत्र – 3.26
ज्ञानी लोग अज्ञानियों को कर्म से विचलित न करें , अपितु अपनें सत् कर्मों से उन्हें आकर्षित करें /
गीता कर्म से ज्ञान में पहुंचानें का एक सत् मार्ग है जहां कर्म तत्त्वों के प्रति होश बनाना पड़ता है/
कर्म तत्त्व कुछ और नहीं गुण तत्त्व ही हैं जो मनुष्य की दृष्टि को परम् से भोग की ओर खीचते हैं/
भोग अज्ञान का रसायन पैदा करता है और योग ज्ञान की किरण फैलाता है/
====ओम======
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