गीता के एक सौ सोलह सूत्र अगला भाग

गीता के एक सौ सोलह सूत्रों में अगले कुछ श्लोक


सूत्र –18.11

कर्म त्याग तो संभव नहीं लेकिन कर्म – योग साधना में कर्म – फल त्याग संभव है / कर्म में

कर्म फल की चाह का न होना त्यागी बनाती है //


In fact it is not possible to abstain from work because work is done by the three natural modes .

However expectation of the better result of the work could be given up and it is not an action but

it is the result of the practice of Karma – Yoga .


सूत्र –18.48

ऐसा कोई कर्म नहीं जो दोष रहित हो लेकिन जीवन निर्बाह के लिए सहज कर्मों को करते

रहना चाहिए /

All actions are clouded by defects but action suited to one,s nature should not be avoided .


गीता सूत्र –4.18

कर्म में अकर्म को देखना और अकर्म में कर्म को देखना मनुष्य को कर्म – योगी बनाता है //


To see action in inaction , to see inaction in action is the awareness which makes one Yogin .


गीता के तीन सूत्र आप को यहाँ दिए गए जो कर्म – योग की बुनियाद हैं और उम्मीद है ये सूत्र

आप को गीता से जोड़ कर रखेंगे //


=========== ओम ===============


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