जीव रचना भाग एक
देखिये यहाँ गीता का वह विज्ञान जिसे आज के वैज्ञानिक खोज रहे हैं
प्रभु श्री कृष्ण गीता श्लोक –7.2में कहते हैं------
अर्जुन अब मैं तेरे को वह सविज्ञान ज्ञान देनें जा रहा हूँ जिसको समझनें वाले को और कुछ समझनें को नहीं बचता//
अब देखिये गीता सूत्र –7.4 , 7.5 , 7.5को जो कह रहे हैं-------
भूमि,जल,वायु,अग्नि,आकाश,मन,बुद्धि एवं अहंकार[अपरा प्रकृति के आठ तत्त्व]और
चेतना[परा प्रकृति]जो जीव धारण करनें की ऊर्जा है,जब आपस में मिलते हैं तब ऐसा आयाम बनाता है जो प्रभु के अंश जीवात्मा को अपनी ओर आकर्षत करता है और जब अपरा,परा एवं
जीवात्मा का मिलन हो जाता है तब एक नया जीव तैयार होता है//
नासा के वैज्ञानिक आज खोज रहे हैं नयी पृथ्वी को जहाँ हमारी पृथ्वी जैसा वातावरण हो और शूक्ष्म एक कोशकीय या बहू कोशकीय जीवों के होनें की संभावनाएं हो//
आज वैज्ञानिक कह रहे हैं,हमारी मिल्की वे गलेक्सी में50 billion planetsहैं जिनमें से500 million planetsऐसे हैं जहाँ जीव उत्पन्न होनें की संभावनाएं हैं//
पञ्च महाभूतों को खोजना तो आसान है लेकिन मन,बुद्धि,अहंकार,चेतना एवं जीवात्मा जो ब्रह्म के साथ होती है उसे वैज्ञानिक क्या पा सकते हैं?
अगले अंक में इस बिषय पर कुछ और गीता के सूत्रों को देखा जाएगा//
=====ओम======
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