गीता के एक सौ सोलह सूत्र अगला अंश
गीता के एक सौ सोलह सूत्रों का अगला अंश यहाँ आप देख सकते हैं ------- गीता सूत्र – 14.19 तीन गुणों को करता देखनें वाला धृष्ट रूप में प्रभु में बसता है // गीता सूत्र – 14.22 तत्त्व वित्तु तीन गुणों की छाया से परे बसता है // गीता सूत्र – 14.25 कर्म में अकर्म एवं अकर्म में कर्म देखनें वाला संभव योगी गुणातीत होता है // गीता सूत्र – 5.24 वह जो अपनें अंदर परम आनंद एवं परम प्रकाश देखता है वह ब्रह्म निर्वाण में होता है // गीता सूत्र – 6.15 मन को ऐसा बना देना की उस पर प्रभु दिखानें लगे , उस मार ्ग का नाम है , ध्यान // गीता सूत्र – 3.27 करता भाव अहंकार की छाया है , गुण कर्म – करता हैं // गीता एक ऐसा बिषय है जिसको सबनें अपनाया है चाहे वे भक्ति मार्गी हों या अद्वैत्य मार्गी . चाहे वे आदि शंकराचार्य हों या दर्शन शास्त्र के चिन्तक सर्वपल्ली राधाकृषनन , आखिर क्या है गीता में जो सब को अपनी ओर खीचता है ? आप इस प्रश्न के सम्बन्ध में सोचें // ===== ओम ======