सविकार काम पाप की ऊर्जा रखता है
गीता के एक सौ सोलह सूत्रों की श्रृंखला-------
अगला सूत्र
इन्द्रियाणि मन:बुद्धि:
अस्य अधिष्ठानं उच्यते
एतै:बिमोहयति एष:
ज्ञानं आबृत्य देहिनम्
गीता सूत्र -३.40
सूत्र में प्रभु कह रहे हैं -----------
अर्जुन ! काम के सम्मोहन में इन्द्रियाँ , मन एवं बुद्धि रहते हैं और बुद्धि एन ज्ञान के ऊपर
अज्ञान की चादर चढ जाती है , फल स्वरुप मनुष्य यह नहीं साझ पाता की क्या करना है
या क्या नहीं करना
Through this verse Lord Krishna says -------
Arjuna ! Sex controls the senses , mind and intelligence . Under the influence of sex desire ignorance is in dominating position and covers the intelligence completely .
Under such situation to take a right decision is not possible ; whatever action is taken
that takes to destruction .
अर्जुन का प्रश्न है,मनुष्य न चाहते हुए भी पाप क्यों करता है?
प्रभु ऊपर दिए गए श्ल्लोक को इस प्रश्न के सन्दर्भ में बोला है,प्रभु कहते हैं ----
अर्जुन ! मनुष्य जब काम के सम्मोहन में होता है तब पाप करता है और काम का सम्मोहन इंदियों पर.मन पर एवं बुद्धि पर भी होता है काम की ऊर्जा में सत के ऊपर असत का पर्दा चढा होता है अतः मनुष्य की बुद्धि दुर्बुद्धि में बदल गयी होती है और वह यह नहीं समझता की वह जो कर रहा है,वह क्या है ?
======== ओम ========
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