गीता मर्म - 09


गीता की सीधी गणित

## कर्म त्यागी कभी प्रभु मय नहीं हो सकता ॥
## घर से जिम्मेदारियों से भाग कर संन्यासी का चोंगा धारण किया हुआ संन्यासी कभी
प्रभु मय नही होता ॥
## कर्म योग और कर्म संन्यास एक है ॥
## कर्म योग एवं त्याग एक है ॥
## कर्म हो लेकीन उसके होनें में कोई बंधन न हो , कोई कारण न हो तो वह कर्म , योग है ॥
## आसक्ति रहित कर्म , मुक्ति पथ है और ज्ञान योग की परा निष्ठा भी ॥

गीता गणित के छः सूत्रों को आप अपनें बुद्धि में रख सकते हैं और समय - समय पर इन
बातों को मनन के लिए अपना सकते हैं ।
इतनी सी बात आप को समझनी है ------
गीता को अपनाना एक ऐसा ब्यापार है जिसमें कुछ खोना नहीं है , कुछ पाना ही है ।
गीता को अपना कर आप उसे खो देंगे जो आप को बेचैन कर रखा है ।
गीता में अपनें को घुलानें पर आप कृष्ण मय हो कर ----
क्षेत्र
क्षेत्रज्ञ को समझ कर -----
परमा नन्द में हो सकते हैं , तो क्या आप अपनें जीवन के कुछ क्षण गीता को दे सकते हैं ?

॥ ===== ॐ ===== ॥

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