जीव कण क्या है ?
# श्रीमद्भागवद्गीता , श्रीमद्भागत पुराण तथा ब्रह्माण्ड पुराणके आधार पर कुछ ऐसी बातें यहाँ दी जा रही हैं जिनका सम्बन्ध जीव और पदार्थ निर्माण से है । आज हर वैज्ञानिक चाहे वह भौतिक शास्त्री हो , चाहे ,रसायन शास्त्री हो या कोई अन्य ,सभीं जीव निर्माणकी सोच पर केन्द्रित हैं ।
# प्रो. एल्बर्ट आइन्स्टाइन 1995 - 1902 के मध्य जब गणित - कोस्मोलोजी को एक नयी दिशा देनें में केन्द्रित थे तब उनको कहीं से गीता मिल गया और जब उनकी नज़र अध्याय - 7,8,13 और 14 के कुछ श्लोकों पर केन्द्रित हुयी तब उनसे रहा न गया और बोल उठे :----
" When I read Bhagavad Gita and reflect about how God created this universe , everything else seems so superfluous ."
# भागवत में कृष्ण ,ब्रह्मा , मैत्रेय और कपिल के सृष्टि विज्ञान दिए गए हैं । इनके सृष्टि विज्ञान में कहा गया है :---
" 1- प्रभु से प्रभु में उनकी तीन गुणों वाली माया एक माध्यम है जो सनातन एवं सीमा रहित है और जो हृदय की भाँति धड़क ( pulsate ) रही है । इसकी धड़कन कालके कारण है ; काल अर्थात समय ( Time ) जो परमात्माका एक निर्मल क्वान्टा है । माया अर्थात space और कल अर्थात time ।
2- माया कालके प्रभाव में एक और क्वान्टा को जन्म देती है जिसे कहते हैं -महतत्त्व ।"
* इस महतत्त्व से आगे जीव और ब्रह्माण्ड की रचना होती है ।
** भागवत का महतत्त्व वह जीव कण है जिसकी तलाश में संसार के वैज्ञानिक जेनेवा में बनी भूमिगत प्रयोगशाला में रात - दिन जुटे हुए हैं ।
* जीव जिस देह में रहता है उसकी और ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाओं की रचनाएँ एक सामान हैं ।
<> महतत्त्व क्वान्टा से सृष्टि कैसे आगे बढती है ? इस प्रश्न को हम अगले अंकों में देख सकते हैं ।आज इतना ही ---
~~~ ॐ ~~~
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