भागवतकी सृष्टि - प्रलय गणित

●● सृष्टि - प्रलय - सृष्टि ●●
°° सन्दर्भ - भागवत :---- 2.5+3.5+3.6+3.25-3.27+11.24+11.25 * ब्रह्मा , मैत्रेय , कपिल और कृष्णके सांख्य तत्त्व ज्ञानका सार :----
^ माया पर कालका प्रभाव हुआ फलस्वरुप
^ 03 अहंकार उपजे
> सात्त्विक अहंकारसे कालके प्रभावसे ---
मन + 10 इन्द्रियोंके अधिष्ठाता 10 देवता उपजे
  > राजस अहँकारसे कालके प्रभावसे -----
10 इन्द्रियाँ + बुद्धि + प्राण उपजे
> तामस अहंकारसे कालके प्रभावसे ----
° शब्द उपजा ° शब्दसे आकाश उपजा ° आकाशसे स्पर्श ° स्पर्शसे वायु ° वायुसे रूप ° रूपसे तेज ° तेजसे रस ° रससे जल ° जल से गंध ° गंधसे जल उपजा अर्थात 05 तन्मात्र और 05 बिषय उपजे और जब तत्त्व प्रलय होती है तब -----
* वायु पृथ्वीसे गंध छीन लेती है
* पृथ्वी जलमें बदल जाती है
# जलका रस वायु ले लेती है
# जल अग्निमें बदल जाता है
¢ अँधकार अग्निसे रूप ले लेता है
¢ अग्नि वायुमें वदल जाती है
^ आकाश वायुसे स्पर्श छीनता है
^ वातु आकाशमें विलीन हो जाती है
> काल आकाशसे शब्द ले लेता है
> आकाश तामस अहंकारमें बदल जाता है
* राजस अहंकारमें 10 इन्द्रियाँ , बुद्धि , प्राण विलीन हो जाते हैं
** सात्त्विक अहंकारमें मन और इन्द्रियोंके अधिष्ठाता देवता विलीन हो जाते हैं
° तीन अहंकारको काल महत्तत्त्वमें विलीन कर देता है ° महत्तत्त्व जो काल मायामें विलीन कर देता है
° माया ब्रह्ममें सिमट जाती है । इस तत्त्व प्रलयको महा प्रलय कहते हैं ।
°°°° ॐ °°°°

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