सांख्य कारिका : 1 - 10 सार भाग - 3
💐 सांख्य कारिका : 1 - 10 के सार का यह आखिरी भाग है। इन 10 कारिकाओं में 03 कारिकाएँ प्रकृति - पुरुष से सम्बंधित हैं । 03 कारिकाओं का सम्बन्ध प्रमाण से है और प्रारंभिक 02 कारिकाओं का सम्बन्ध दुःख और दुःख निवारण से है ।
कारिका : 3 , 7 और 8 प्रकृति और पुरुष को व्यक्त कर रही है। प्रकृति के लिए सांख्य कारिका : 3 कहती है , " 03 हूणों की साम्यावस्था को मूल प्रकृति या अव्यक्त कहते हैं जो सनातन अविकृत , अनादि , त्रिगुणी और किसी से उत्पन नहीं है ।
पुरुष गुणातीत , सनातन और चेतन है ।
💐 सांख्य दर्शन कोई मनोरंजन का साधन नहीं , यह बुद्धि योग का सागर है जिसके प्रमुख मात्र 02 तत्त्व हैं - प्रकृति और पुरुष।
💐 प्रकृति - पुरुष के संयोग की भूमि है चित्त जो पुरुष ओरभाव के कारण प्रकृति से उत्पन्न होता है और जिसे अंतःकरण ( मन + बुद्धि +अहँकार ) भी कहते हैं ।
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