गीता में दो पल - 18 - दशांगुल न्याय क्या है ?
# अहँकारके अस्तित्वको दशांगुल न्याय में देखते हैं । * दशांगुल न्याय कहता है कि पृथ्वीके चारों तरफ ब्रह्माण्डके 07 आवरण निम्न प्रकार से हैं । * 1- पृथ्वी चारों तरफ से पानी घिरी है और पानी पृथ्वी से 10 गूना है । *2- पानीके चारों तरफ है अग्नि जी पानी से 10 गूना है । * 3 - अग्नि अपनें से 10 गूँने वायु से घिरा हुआ है। * 4 - वायु अपनेंसे 10 गूँने आकाशसे घिरी है। <> 5- आकाश चारों तरफ से अपनें से 10 गूँनें अहँकार आवरणसे घिरा है । ♂ 6 - अहँकार से 20 गूना है महत्तत्त्व का आवरण । ♀7 - महत्तत्त्वसे 10गूना है अब्यक्तका आवरण । ** अब्यक्तको ही मूल प्रकृति कहते हैं । ## यहाँ से अहँकारके सम्बन्ध में सोचा जा सकता है । ~~~ॐ~~~