संसार रहस्य - 1
●संसार रहस्य - 1●
●● गास्पेलमें संत जोसेफ कहते हैं : सृष्टिका प्रारम्भ शब्द रूप प्रभु है और भागवतमें ब्रह्मा , मैत्रेय , कपिल और कृष्ण भी यही बात कहते हैं और इसकी पूरी गणित देते हैं ●●
^^ आइये ! चलते हैं इस संसार रहस्य में ।
<> संसारको समझनें केलिए हमारे पास पांच माध्यम ( tools ) हैं ; पांच ज्ञान इन्द्रियाँ जैसे आँख ,नाक ,कान , जिह्वा और त्वचा । आँखसे रूप - रंगको ,नाकसे गंधको , कानसे शब्दको , जिह्वासे रसको और त्वचासे संवेदनाको हम समझते हैं ।
<> पांच महाभूत और प्रत्येक महाभूतका अपना - अपना बिषय ( तन्मात्र ) होता है । पृथ्वी ,जल ,वायु , अग्नि और आकाश - ये पांच महाभूत हैं जिनमें पृथ्वीका गंध , जलका स्वाद , वायुका रूप , अग्निका तेज , आकाश का शब्द बिषय (तन्मात्र ) हैं ।
<> भागवतमें ऋषभ जी के नौ योगीश्वर पुत्र सम्राट निमि ( विदेह जनक ) तत्त्व ज्ञानके माध्यमसे प्रलयके समय मायाके कार्यको कुछ इस प्रकारसे ब्यक्त करते हैं ।
*वायु प्रलय कालमें पृथ्वीके गंधको चूस लेती है और गंधहीन पृथ्वी जलमें बदल जाती है अर्थात वायु पृथ्वीको जल में बदलती है ।
* जब प्रलय कालमें पृथ्वी जलमें बदल जाती है तब जलसे उसके तन्मात्र रसको वायु खीच लेती है और जल अग्निमें बदल जाता है अर्थात वायु पहले पृथ्वीको जलमें और फिर जलको अग्नि में बदल देती है ।
* जब सर्वत्र सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड अग्नि ही अग्नि होती है तब अंधकार अग्निका रूप लेलेता है और अग्नि वायुमें बदल जाती है ।इस घटना के बाद सम्पूर्ण ब्रह्माण्डमें हजारों मील की गति से वायु चलती रहती है ।
* वायु आकाशमें जन्म लेता है , आकाश में रहता है और आकाशमें समाप्त भी होता है कैसे ? देखिये
यहाँ , आकाश वायुसे उसके गुण स्पर्शको लेलेता है और वायु आकाशमें विलीन हो जाती है ।
* जब ब्रह्माण्ड और आकाश एक हो जाते हैं जहां शब्द रह जाता है तब काल आकाशसे उसके गुण शब्दको लेलेता है और आकाश तामस अहंकारमें बदल जाता है ।
* सृष्टि प्रारम्भके समय महत्तत्त्वपर कालके प्रभावसे तीन अहंकार उपजते हैं -सात्त्विक ,राजस और तामस और तामस अहंकार पर जब कालका प्रभाव होता है तब शब्द पैदा होता है ।
* प्रलय कालमें जब तत्त्वों की प्रलय होती है तब तामस अहंकार कर काल का प्रभाव होता है औत तामस अहंकार महतत्त्वमें बदल जाता है। महतत्त्व पर जब कालका असर होता है तब महतत्त्व माया में विलीन हो उठता है और सर्वत्र माया ही माया होती
है ।
* माया प्रभुसे प्रभुमें तीन गुणोंका एक सनातन माध्यम है जिससे और जिसमें सृष्टिका होना और सृष्टिका समाप्त होना होता रहता है ।
** भागवत और गीताके आधार पर संसारके एक रहस्यको स्पष्ट किया गया ,आगे क्स्हल कर कुछ और रहस्योंको देखा जाएगा ।।
~~ ॐ ~~
Comments