Prof. Einstein and Gita

Prof.Einstein says - When i read bhagvad gita and reflect about how God created this universe, everything else seems so superfluous.
20 वीं शताब्दी का महान वैज्ञानिक जब गीता के बारे में ऎसी बात कहता है तब हमें उन श्लोकों को देखनें की उत्सुकता अवश्य होनींचाहिए की वे श्लोक कौन से हैं?
यदि आप के पास गीता हो तो आप से प्रार्थना है की आप उसको अपनें पास रख लें, ऐसा करनें से से आप को सहूलियत मिलेगी। गीता के निम्न श्लोक प्रो आइंस्टाइन को आकर्षित किए होंगे तो चलते हैं आगे इन श्लोकों में।
श्लोक 2।28
जो कुछ आज है वह अज्ञात से आया है और अज्ञात में जा रहा है।
श्लोक 7.4--7.6 , 13.5- 13.5 , 14.3-14.4
सभी भूतों की रचना अपरा प्रकृत के आठ तत्वों , चेतना , आत्मा- परमात्मा एवं गुणों से हुयी है।
श्लोक 8.16--8.18
सभी लोक पुनरावर्ती हैं अर्थात आज हैं और कल नहीं रहेंगे और पुनः कहीं और बनते भी रहते हैं।
सृष्टि की अवधी चार युगों की अवधी से हजार गुना अधिक होती है।
सृष्टि के अंत पर सभी सूचनाएं अति शुक्ष्म ऊर्जा में बदल जाती हैं और जब पुनः ब्रह्मा का दिन प्रारम्भ
होता है तब सभी सूचनाएं पुनः अपनें-अपनें पूर्व आकार में प्रकट होती हैं।
श्लोक 15.13
परम श्रीकृष्ण कहते हैं--पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति मैं हूँ।
Issac Newton[1642-1727] के बाद Prof.Einstein- 20th century में ग्रेविटी के बारे में सोचा और जीवन भर सोचते ही रहे लेकिन वह कह नही पाये जो कहना चाहते थे और वह दिखा न पाये जो देखा था।
ग्रेविटी तब भी एक रहस्य थी , आज भी रहस्य है और कल भी रहस्य ही रहेगी
=======ॐ========

Comments

Popular posts from this blog

क्या सिद्ध योगी को खोजना पड़ता है ?

पराभक्ति एक माध्यम है

मन मित्र एवं शत्रु दोनों है