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Showing posts from April, 2021

सांख्य में कारण , कार्य और करण

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  यहाँ सांख्य दर्शन आधारित सृष्टि रहस्य को आप देख रहे हैं ।  वेदांत दर्शन में माया - ब्रह्म , सांख्य में प्रकृति - पुरुष  रहस्य सामानांतर रहस्य हैं , केवल शब्दों में अंतर है  । श्रीमद्भागवत पुराण स्कन्ध - 2 , 3 और 11 में क्रमशः  ब्रह्मा , मैत्रेय , कपिल मुनि ( सांख्य दर्शन के आदि मुनि ) और प्रभु श्री कृष्ण की सृष्टि उत्पत्ति रहस्य को बताया गया है । भागवत में वर्णित सृष्टि रहस्य ईश्वरकृष्ण रचित सांख्य कारिकाओं में वर्णित सृष्टि रहस्य (जैसा यहाँ स्लाइड में दिखाया जा रहा है )  जैसा ही हैं लेकिन कुछ बदलाव भी देखा जा सकता है ।  अगले अंक में कारण , कार्य और दो प्रकार के करण को आप देख सकेंगे ।

सांख्य कारिका : 6

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ईश्वर कृष्ण कृत कुल 72 कारिकायें हैं । गीता में प्रवेश करने से पूर्व हम इन 72 कारिकाओं को ठीक से समझना चाहते हैं । इस कड़ी के अंतर्गत आज हम 6 वीं कारिका को देख रहे हैं ⤵️

सांख्य कारिका - 5 , तीन प्रमाण क्या हैं ?

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  कारिका - 4 में देखा गया कि किसी वस्तु / बिषय के सत्यापनको निश्चित करानें के उपाय को प्रमाण कहते हैं । प्रमाण 03 प्रकार के हैं । पहला प्रत्यक्ष प्रमाण प्रायः सभीं दर्शनों द्वारा मान्य है ।  तीसरे प्रमाण - आप्त वचन जे सम्बन्ध में पहले बताया जा चुका है , और अब ... दूसरा अनुमान प्रमाण 03 प्रकार का बताया गया है । यहाँ देखिये ⬇️ इस नीचे दी गयी स्लाइड को ....

सांख्य में प्रमाण क्या है ? भाग - 1

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  प्रमाण अर्थात जानने का माध्यम या श्रोत क्या है ? अगले अंक में देखिये अन्य भारतीय दर्शनों के विचार , प्रमाण के सम्वन्ध में पर अभीं सांख्य कारिका - 4 में देखिये प्रमाण के सम्बन्ध में कुछ बातें ⬇️

तन्मात्र , महाभूत और इन्द्रिय सम्बन्ध

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  सांख्य कारिका - 3 के आधार  पर  महाभूत , तन्मात्र और इंद्रियों के पारस्परिक सम्बन्ध को यहाँ दिखाने का प्रयत्न किया गया है । // ॐ //

सांख्य कारिका - 3 भाग - 2

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सांख्य कारिका - 3

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सांख्य कारिका - 2 दुःख निर्मूल करने का उपाय

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  ★ऊपर दी गयी स्लाइड को ध्यान से देखें और अपनी बुद्धि में बैठाएं । <> दुःख से छुटकारा पाना कौन नहीं चाहता ! इसके लिए नानाप्रकार के उपाय भी उपलब्ध हैं जैसे वैदिक उपचार में यज्ञ आदि करना , देवताओं का वैदिक व्यवस्था के अनुसार पूजन करना , औषधियों का प्रयोग करना , तांत्रिक उपचार करना आदि - आदि ।  ◆ सांख्ययोग कहता है , ये सारे उपाय अस्थाई रूप में दुःख निवारण करते हैं और समय - समय पर ये दुःख बार - बार पुनः पुनः लौट कर आते रहते हैं । # दुःखों को निर्मूल ( जड़ से समाप्त करने ) करने का केवल एक मात्र उपाय है - तत्त्व ज्ञान । < > क्या है , यह तत्त्व ज्ञान ?  गीता श्लोक : 13.2 में प्रभु कहते हैं , " क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ का बोध , ज्ञान है ; हमारा शरीर क्षेत्र है और इसका संचालक क्षेत्रज्ञ है। गीता की इस बात को सांख्य इस प्रकार से कहता है , " प्रकृति - पुरुष का बोध - तत्त्व ज्ञान है । पुरुष , प्रकृति और प्रकृति के विकृत होने से उपजे 23 सर्ग सांख्य के मूल तत्त्व हैं । रमण महर्षि का मैं कौन हूँ , सांख्य का तत्त्व ज्ञान और वेदांत का ब्रह्म - माया बोध आदि सब एक के संबोधन हैं। // ॐ //

सांख्य में तीन प्रकार के दुःख कौन से है ?

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  ★ कारणों के आधार पर सांख्य दुःख को तीन भागों में निम्न प्रकार से बाटता है 👇 1⃣  अपने दुःख का कारण हम स्वयं हो सकते हैं । 2⃣ दुःख का कारण कोई अन्य जीव हो सकता है । 3⃣ दुःख प्राकृतिक घटनाओं से  भी मिल सकता है । 🐧 अब ऊपर दी गयी स्लाइड पर निगाह डालते हैं 🔼

सांख्य कारिका - 1 हिंदी भाषान्तर - 1

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  आचार्य ईश्वर कृष्ण द्वारा रचित 72 सांख्य कारिकाओं को गीता तत्त्व विज्ञान में देखने का प्रयाश प्रारम्भ किया जा रहा है । इस श्रृंखला में सभीं कारिकाओं का सरल हिंदी भाषान्तर देने की कोशिश की जायेगी। आशा है हमारा साथ बना रहेगा ।  ⬆️ऊपर आज कारिका - 1 को प्रस्तुत किया गया है । इसके भाग - 2 में  03 प्रकार के दुखों को देखा जायेगा  अगले अंक में ।

गीता में सांख्य शब्द - 4

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गीता में सांख्य शब्द - 3

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  👌 गीता , भागवत पुराण एवं अन्य शास्त्रों में जहाँ भी सांख्य  शब्द प्रयोग किया गया है वहाँ उसे बुद्धि के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किया गया है । 👌 सांख्य दर्शन को समाप्त करने की पूरी कोशिश की गयी लेकिन फिर भी इसकी चमक सर्वत्र दिखती ही है , उसे छिपाना संभव न हो सका । 👌यहाँ गीता में सांख्य शब्द के प्रयोग को केवल इस लिए दिखाया जा रहा है जिससे आप सच्चाई को समझने की ओर चल सकें । 💐 आगे चल कर हम सांख्य दर्शन में ईश्वर कृष्ण रचित 72 कारिकाओं को भी एक - एक करके देखने का यत्न करते रहेंगे , यदि आप मूल सांख्य के प्रेमी हैं तो मेरे साथ बने रहें। // ॐ //

गीता में सांख्य शब्द - 2

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  🔼 सांख्य और गीता नाम से पहले अंक में गीता के 06 अध्यायों के ऐसे 13 श्लोकों की सूची दी गयी है जिनमें किसी न किसी रूप में सांख्य शब्द दिखता है । ▶️ उन 13 श्लोकों में से पहला श्लोक : 2.39 ऊपर स्लाइड में दिया गया है । ➡️ देखिये , स्लाइड को और बुद्धि योग के लिए सांख्य शब्द के प्रयोग को जबकि बुद्धियोग का केंद्र आत्मा - ब्रह्म - परमात्मा है और सांख्ययोग का आधार प्रकृति - पुरुष हैं ।। ॐ ।।

गीता और सांख्य दर्शन

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  श्रीमद्भगवद्गीत तत्त्व विज्ञान के अंतर्गत हम गीता के सूक्ष्म से सूक्ष्म सविज्ञान ज्ञान को खोजने का प्रयाश करेंगे जिससे गीता के प्रति जिज्ञासा हर पल बढ़ती जाय और हम पर्त दर पर्त विभिन्न ज्ञान -आयामों में प्रवेश करते चले जाय।  इस दिशा में आज ऊपर जो स्लाइड दी गयी है , वह पहला कदम है ।। ॐ ।।

कर्म और गीता

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 ● ऐसा कौन जीवित प्राणी है जो कर्म नहीं करता ? ◆ऐसे कितने हैं जो यह समझते हैं कि कर्म वे नहीं कर रहे अपितु जो वे कर रहे हैं , उसे कोई और करवा रहा है ? ●और कर्म करता हम नहीं , हमारे अंदर हरपल बदल रहा गुण समीकरण है जो हमसे हठात् कर्म करवाता है , इस बात को कितने लोग समझते हैं ? ★आप सोच रहे हैं कि यह क्या कह रहा है , लेकिन यह मैं नहीं गीता में प्रभु श्री कृष्ण कह रहे हैं , और अब ⬇️

समाधि क्या है ?

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  योगाभ्यास में योगी को जब स्वयं को out of body होने की अनुभूति होती है तब अनजाने में उसे समाधि की एक हल्की सी झलकी मिलती है । आगे क्या होता है , देखिये यहाँ 👇

दो प्रकार की समाधि

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  समाधि अष्टांगयोग का आठवां अंग है ।  सम्प्रज्ञात , असम्प्रज्ञात समाधि के बाद क्रमशः संयम , कैवल्य और मोक्ष भूमियाँ मिलती हैं ।  कैवल्य और मोक्ष साधना की भूमियाँ आलंबनमुक्त भूमियाँ हैं । आइये ! अब हम चलते हैं समाधि भाग - 02 की यात्रा पर