प्रज्ञा समीकरण
गीता सूत्र – 2.67 इन्द्रियाणां हि चरतां यत् मन : अनुविधीयते तदस्य हरति प्रज्ञां वायु : नावं इव अम्भसि जैसे पानी में चल रही नाव को वायु हर लेती है वैसे बिषयों से सम्मोहित इन्द्रिय के बश में हुआ मन प्रज्ञा को हर लेता है Mind attracted by the roving senses keeps controls over pure intelligence . प्रज्ञा क्या है ? इन्द्रियाँ , मन , बुद्धि . प्रज्ञा , आत्मा - इन शब्दों का आपस में गहरा सम्बन्ध है प्रज्ञा आत्मा की ऊर्जा को सबसे पहले प्राप्त करती है , यह आत्मा के अति समीप है जिस पर सम्मोहित मन का प्रभाव तो रहता है लेकिन सम्मोहित इन्द्रियों का सीधा कोई प्रभाव नहीं होता प्रज्ञा के लिए कोई अंग्रेजी में शब्द नहीं है गीता तत्त्व विज्ञान कि गणित को देखिये ------- बिषय इन्द्रियों को सम्मोहित करते हैं … .......... इन्द्रियाँ मन को सम्मोहित करती हैं … ............ मन प्रज्ञा को सम्मोहित करता है … ................. लेकिन प्रज्ञा के साथ स्थित आत्मा पर कोई किसी का असर नहीं होता ===== ओम =========